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धान की खरीदी

हरियाणा सरकार ने धान खरीदी को लेकर घोषणा की है, बाजरे के लिए कोई MSP निर्धारित नहीं की

हरियाणा सरकार ने धान खरीदी को लेकर घोषणा की है, बाजरे के लिए कोई MSP निर्धारित नहीं की

हरियाणा में बाजरे की सरकार द्वारा खरीद शुरू हो गई है। हैफेड (हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड) द्वारा सर्व प्रथम रेवाड़ी, कनीना, चरखी दादरी, भिवानी और कोसली की मंडियों में बाजरे की खरीद की जाएगी। वहीं, धान की सरकारी खरीद के लिए किसानों को थोड़ा इंतजार करना होगा। माना जा रहा है, कि 1 अक्टूबर तक धान की खरीद की जा सकती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तरफ से दिए गए निर्देश के उपरांत बाजरे की सरकारी खरीद चालू हो गई है। परंतु, किसानों को अब भी धान की सरकारी खरीद की प्रतीक्षा है। ऐसा माना जा रहा है, कि 1 अक्टूबर से धान की खरीद चालू हो सकती है। आपको बतादें, कि बाजरे की खरीद का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत किया जाएगा। फसल की खरीद का पैसा 72 घंटे में सीधा किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा। साथ ही, बेहतर और औसत क्वालिटी (FAQ) वाले बाजरे की खरीद प्रचलित बाजार दर पर होगी। साथ ही, यह खरीद उन किसानों से की जाएगी, जो मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड और वेरीफाइड हैं।

भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत भुगतान किया जाएगा

किसानों को प्रचलित मंडी दर एवं एमएसपी (MSP) के अंतर का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत किया जाएगा। फसल खरीद की धनराशि सीधे किसानों के बैंक एकांउट में भेजा जाएगा।

धान खरीदी एक अक्टूबर से शुरू हो सकती है

बाजरा के एमएसपी 2,500 रुपये की अपेक्षा 1,900 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा। निजी व्यापारियों द्वारा बासमती चावल की 1509 किस्म की दर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद अब तक स्थिर बनी हुई है। परमल किस्म के धान की सरकारी खरीद अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक शुरू होने की संभावना है।

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जनपद की मंडियों में खरीद नहीं हो पा रही है

बाजार समिति के अधिकारी का कहना है, कि बाजारा और धान की खरीद का ऐलान 25 सिंतबर से शुरू होने के निर्देश दिए गए हैं। परंतु, सरकारी एजेसियों द्वारा अभी तक विभिन्न जिलों की मंडियों में प्रक्रिया तक चालू नहीं हुई है। बाजरे की खरीद 2,200 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर निर्धारित की गई है। परंतु, निजी व्यापारियों द्वारा बाजरे की खरीद 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर की जा रही है।

किसान को 300 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है

कमीशन एजेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी गौरव तेवतिया ने खरीफ फसल की खरीद में हो रहे विलंभ पर अधिकारियों को दोषी ठहराया है। उनका कहना है, कि बाजरे की खरीदी के लिए किसी आधिकारिक एजेंसी का चयन नहीं किया गया है। इससे किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपये की हानि हो रही है। साथ ही, अब किसानों को भी विश्वास नहीं है, कि भावांतर भरपाई योजना के जरिए से हो रही हानि की भरपाई की जाएगी अथवा नहीं।

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बाजरा इस कारण से कम कीमत पर बिकेगा

फसल बिक्री के लिए जो सरकारी पोर्टल में रजिस्ट्रेशन प्रणाली 888999 है उसमें गड़बड़ी है। वहीं, अब तक केवल 35 फीसद ही धान उत्पादक किसान पंजीकृत हो पाए हैं। इससे यह संभावना है, कि ज्यादातर लोग बाजरा एवं धान एमएसपी से नीचे कम भाव में बेचेंगे। मंडियों में तकरीबन 2,200 क्विंटल बाजरा, 5,400 गांठ कपास और 20,000 क्विंटल से ज्यादा बासमती धान की आवक हुई है।
इस साल फिर से होगी धान की रिकॉर्ड खरीदारी?

इस साल फिर से होगी धान की रिकॉर्ड खरीदारी?

देश में इस साल कहीं बाढ़ है, तो कहीं सूखे जैसे हालात। इसकी वजह से बहुत से क्षेत्रों में धान की बुवाई या तो हुई ही नहीं और अगर हुई है तो धान सड़ गई है। धान ही नहीं, अन्य खरीफ के फसलों के भी यही हाल हैं। इस वजह से आशंका है कि इस साल खरीफ के फसल का उत्पादन खासा प्रभावित होगा। इन्हीं सबके बीच किसान हलकान हो रहा है और उसे ये नहीं सूझ रहा कि अब करे तो क्या करे। लेकिन इस बीच एक खबर आ रही है कि पिछले साल जिस तरह से सरकार ने जमकर धान खरीदी की थी, उसी तरह इस साल भी धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है। आंकड़ों के जरिए बताएं, तो इस साल यानी 2022 में 506 लाख टन चावल की खरीदारी की जाएगी।


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यह फैसला किसानों को झकझोरने वाला है, क्योंकि ऐसी खबरें ऐसे समय में आ रही हैं जब किसान इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि उनके पास उत्पादन कुछ खास होने वाला नहीं है। वैसे इस घोषणा को आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है। गाहे-बगाहे सरकारी हलकों से ये खबरें आ रही हैं। खबरों के मुताबिक अधिकारी अभी विचार विमर्श में लगे हुए हैं। अगले हफ्ते तक इस संबंध में घोषणा भी कर दी जाएगी। गौर करने वाली बात है कि सरकार किसानों से एक निश्चित दाम पर धान की खरीदी करती है और फिर चावल मिलों को बेच देती है। धान उन चुनिंदा फसलों में आती है जिसमें एमएसपी मिलती है। खरीफ के सीजन में बोई जानी वाली धान की आवक अक्टूबर महीने में शुरू हो जाती है। इसलिए अब तक एमएसपी के दाम भी तय कर दिए गए हैं। सामान्य ग्रेड की धान का दाम 2040 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से तय किया गया है। जबकि ग्रेड ए क्वालिटी वाली धान की कीमत 2060 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है।


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अंग्रेजी अखबार द इकॉनमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक राज्य सरकारों ने खरीफ की फसलों का आंकलन कर लिया है और उसके हिसाब से उत्पादन क्या होगा और खरीद कैसी होगी, उसको लेकर अनुमान भी जारी कर दिए हैं। राज्य सरकार के मुताबिक इस बार बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में खरीफ की फसल अच्छी नहीं है, इसलिए यहां उत्पादन कम होने की आशंका है। इन क्षेत्रों में इस साल बारिश देरी से हुई है और खरीफ की फसल अच्छी न होने का यही सबसे बड़ा कारण है। लेकिन सरकार का मानना है कि इस सबके बावजूद उनके खरीदी लक्ष्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। देश की विभिन्न राज्य सरकारों ने इस बार फिर से खरीदारी को लेकर कमर कस ली है और कुल 506 लाख टन धान की खरीदारी का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन क्या इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा, यह सवाल बड़ा अहम है। वैसे इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जाएगा इसको लेकर राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ अगले हफ्ते मीटिंग होनी है, उसी में ये तय किया जाएगा। वैसे इसी बीच कुछ राज्यों के लिए अच्छी खबर है कि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और तेलंगाना में धान की फसल बहुत अच्छी हो सकती है। ऐसे में सरकार की कोशिश होगी कि वे इन राज्यों से सरप्लस हासिल करते हुए कुल उत्पादन में अन्य राज्यों की भरपाई कर सकें। वैसे झारखंड, पश्चिम बंगाल से आ रही खबरें निराश करने वाली जरूर हैं।
व्यापारियों ने बताया अनाज के ई ट्रेडिंग को गलत, सरकार के फैसले पर जताया विरोध

व्यापारियों ने बताया अनाज के ई ट्रेडिंग को गलत, सरकार के फैसले पर जताया विरोध

अनाज की ई-ट्रेडिंग (e-trading) को लेकर व्यापारियों के भीतर भारी गुस्सा है। इसको लेकर हरियाणा में बहुत सारे अनाज व्यापारी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि व्यापारियों को जबदस्ती परेशान करने के लिए सरकार ने ये आदेश जारी किया है, जो बिलकुल गलत है। व्यापारियों ने बताया कि इस धंधे में बहुत सारी समस्याएं हैं और मुनाफा दिनों दिन कम होता जा रहा है। ऐसे में सरकार व्यापारियों की सहायता न करके उनको तंग करने के लिए नए नए फरमान लेकर आ रही है, जो व्यापारियों के साथ-साथ किसानों के लिए भी अच्छा नहीं है। व्यापारियों ने बताया कि ई ट्रेडिंग के पहले, सरकार को किसानों के अनाज की खुली में बोली सुनिश्चित करनी चाहिए। जब खुली बोली के दामों से किसान संतुष्ट न हो तब ही फसल की ई ट्रेडिंग की स्वीकृति देनी चाहिए। इसके साथ ही व्यापारियों ने कहा कि सरकार को मंडी गेट पास (mandi gate-pass) बनवाने में भी छूट देना चाहिए और फसल की खरीद पर आढ़तियों को मिलने वाली पूरी 2.5 प्रतिशत आढ़त भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

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ई मंडी के माध्यम से गांवों में होगी फसलों की खरीद इनके अलावा भी व्यापारियों की सरकार से अन्य शिकायतें हैं। व्यापारियों ने बताया कि पहले धान पर मार्केट फीस व एचआरडीएफ दोनों मिलाकर मात्र 1 प्रतिशत लगता था, लेकिन अब सरकार की तरफ से इसको बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। इसे फिर से घटाकर 1 प्रतिशत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही तुली हुई फसलों का उठान भी समय से नहीं होता जो कि गलत हैगेहूं और धान का उठान सरकार को निर्धारित 72 घंटे के समय से पहले ही करवाना चाहिए, क्योंकि अगर उठान में देरी होती है तो उसमें किसी भी प्रकार की हानि हो सकती है। कई बार तो अनाज खुले में पड़ा रहता है और बरसात के कारण भीग जाता है। इसके साथ ही सरकार को तय समय 72 घंटे के भीतर ही किसानों का भुगतान कर देना चाहिए, जो सरकार फिलहाल नहीं करती है। एक व्यापारी ने बताया कि सरकार गेहूं और धान की खरीदी में आढ़तियों का कमीशन और पल्लेदारों की पल्लेदारी देने में एक साल तक समय लगा देती है जो सरासर गलत है। क्योंकि जब कभी सरकार को व्यापारियों से पैसे मिलने होते हैं तो देरी के एवज में सरकार व्यापारियों के ऊपर पैनल्टी लगाती है और कभी कभार तो ब्याज भी लेती है। लेकिन यदि सरकार व्यापारियों, किसानों और मजदूरों के भुगतान में देरी करती है तो किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति नहीं करती। ये सरासर गलत है।

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व्यापारियों ने ई ट्रेडिंग को बेहद कमजोर व्यवस्था बताते हुए कहा कि, यह बेहद चिंता का विषय है कि सरकार इसकी खामियों पर ध्यान नहीं दे रही है। ई-ट्रेडिंग के माध्यम से किसान की फसल की बिक्री होने पर, फसल का भुगतान किस प्रकार से किया जाएगा यह सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है। क्योंकि सरकार किसानों से फसल ख़रीदने पर कई महीनों तक भुगतान नहीं करती। जबकि इसके लिए उन्होंने कानून बना रखा है कि सरकार फसल खरीदने के 72 घंटे के भीतर भुगतान कर देगी। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। इसके साथ ई-ट्रेडिंग के माध्यम से फसल की बिक्री होने पर फसल का उठाव कैसे किया जाएगा, इसको लेकर भी सरकार ने कोई ठोस रूप रेखा तैयार नहीं की है। व्यापारियों ने फसलों की ई ट्रेडिंग को किसानों को बर्बाद करने की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि अगर फसलों का व्यापार ई ट्रेडिंग के माध्यम से होने लगा तो फसलों के सारे व्यापार पर नियंत्रण देश के अमीर उद्योगपतियों का हो जाएगा। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार यही चाहती है कि देश में उपलब्ध अनाज पर बड़े उद्योग घरानों का कब्जा हो जाए। जिससे ये बड़े उद्योगपति अनाज के दामों का रिमोट कंट्रोल अपने हाथ में रख पाएं। ये जब चाहेंगे तब बाजार में अनाज की सप्प्लाई बढ़ाकर या कम करके अनाज के भावों को ऊपर नीचे कर सकते हैं। अनाज खरीदी में एकाधिकार आ जाने से ये किसानों को उनका अनाज कम दामों में बेंचने पर भी मजबूर कर सकते हैं।

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व्यापारियों ने कहा कि यदि अनाज का कंट्रोल उद्योगपतियों के हाथ में आ गया तो आटा, बेसन, दालों जैसी मूलभूत चीजों के दाम आसमान छूने लगेंगे। ये चीजें फिलहाल इतने ज्यादा ऊंचे दामों पर नहीं बिकती हैं क्योंकि इन चीजों को अभी ज्यादातर बाजार में खुला ही बेचा जाता है। व्यापारियों ने कहा कि सरकार किसानों को बर्बाद करने की कई साजिशें रचती रहती है, इसके तहत सरकार किसानों के लिए कई काले कानून लेकर आई थी, जिसे भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा। ई-ट्रेडिंग के नाम पर आढ़तियों और किसानों को तंग किया जा रहा है। यदि किसान अपनी फसल पहले की तरह में मंडी में आढ़तियों को बेचेंगे तो किसानों को फसल के दाम ज्यादा मिल सकते हैं, क्योंकि मंडी में  किसानों के अनाज की खुली बोली कई आढ़तियों के बीच लगाई जाती है, जहां कम्पटीशन बना रहता है और वहां पर किसान अपनी फसल को ऊंचे दामों में बेंचकर ज्यादा मुनाफा कमा सकता है।
हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

खरीफ का सीजन चल रहा है, धान की फसल लगभग तैयार होने को है कुछ ही दिनों में धान की कटाई शुरू हो जाएगी, जिसके बाद मंडियों में धान की आवक शुरू हो जाएगी, इसको लेकर हरियाणा सरकार अलर्ट पर है। सरकार ने जल्द ही धान खरीद प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए कहा था, इसके लिए हरियाणा सरकार ने 1 अक्टूबर की तारीख तय की थी जब से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जाएगी। लेकिन राज्य के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार धान की खरीदी को आगे बढ़ा सकती है। हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले साल हमने धान की खरीदी बहुत जल्दी प्रारम्भ कर दी थी। उस दौरान हमने धान की खरीदारी 25 सितम्बर से प्रारम्भ कर दी थी, क्योंकि पिछले साल फसल जल्दी तैयार हो गई थी। लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। धान की खरीद में नमी की उपस्थित एक बहुत बड़ा मुद्दा होता है। फसल ख़रीदते समय हमें नमी के स्तर को भी ध्यान में रखना होगा। ज्यादा नमी वाली धान की फसल खरीदने योग्य नहीं होती है। उसके खराब होने की संभावना बरकरार रहती है। जब फसल पूरी तरह से सूख जाएगी, तभी से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जा सकती है। ये भी पढ़े: हरियाणा में बाजरा-धान खरीद की तैयारी पूरी पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने धान में खरीदी की देरी को लेकर राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, उन्होंने कहा है कि राज्य की मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है, इसलिए राज्य सरकार का यह कर्त्तव्य है कि सरकार समय से धान की खरीददारी प्रारम्भ करे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को 20 सितंबर से धान की खरीदी प्रारम्भ कर देनी चाहिए। पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के सुर में सुर मिलाते हुए मंडी आढ़तियों ने सरकार से 15 सितंबर से धान खरीदी प्रारंभ करने की गुजारिश की है, जो अभी शुरू नहीं हो पाई है। इन सबको दरकिनार करते हुए सरकार ने धान खरीदी के लिए 1 अक्टूबर की तारीख नियत की है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है। धान की खरीदी में लेट लतीफी को देखते हुए हरियाणा के मंडी आढ़तियों ने 19 सितंंबर को हड़ताल घोषित करने की मांग की है। इसकी जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर दी गई है। हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़तियों एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने बताया है कि मंडी आढ़तियों के प्रति राज्य सरकार की गलत नीतियों और ई-नाम पोर्टल पर बासमती व्यापार तथा धान की ऑनलाइन खरीद के विरोध में पूरे राज्य के सभी आढ़तिये 19 सितंंबर को हड़ताल पर जाएंगे। अशोक गुप्ता ने कहा कि राज्य में किसानों के भुगतान के लिए दो माध्यम होना चाहिए। यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज के बदले एजेंसियां सीधे उसको भुगतान करें, तो एजेंसियां कर सकती हैं। लेकिन यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज खरीद के बदले आढ़तिये किसान को भुगतान करें, तो इसकी परमिशन सरकार को आढ़तियों को देना चाहिए।
छत्तीसगढ़ सरकार ने किया एलान, एक करोड़ टन खरीदेगी धान

छत्तीसगढ़ सरकार ने किया एलान, एक करोड़ टन खरीदेगी धान

छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ये जानकारी दी है कि सरकार १ करोड़ टन धान की खरीदी करेगी, जिसकी तैयारी १ नवंबर से प्रारम्भ हो जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने इसको लेकर चल रही तैयारियों का मुआयना भी किया। साथ ही वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये किसानो के पंजीयन, धान का रकबा, गिरदावरी, कस्टम मिलिंग, धान परिवहन, वित्तीय व्यवस्था, धान सहित खरीदी के लिए समस्त आवश्यक व्यवस्थाओं की जानकारी ली।

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बारदाने की पूर्ण व्यवस्था का आदेश दिया

धान खरीदी के लिए राज्य सरकार किसानो का पंजीयन ३१ अक्टूबर तक कराने की तैयारी में है, साथ ही हर हाल में १ नवंबर से पूर्व सभी केंद्र में धान खरीदी की उत्तम व्यवस्था का भी आदेश दिया है। धान खरीदी के लिए राज्य सरकार ने सभी समितियों को उपयुक्त मात्रा में बारदाने की पूर्ति करने का भी निर्देश दिया है।

परिवहन कार्यकर्ताओं की प्रबंधन प्रक्रिया १५ अक्टूबर तक समाप्त

परिवहन कार्यकर्ताओं की अनुबंध की प्रक्रिया १५ अक्टूबर तक संपन्न करने की तैयारी है, साथ ही किसानो द्वारा बोये रकबे के सत्यापन के लिए गिरदावरी का काम ३० सितम्बर तक पूरा करने को कहा है। मुख्य सचिव ने बताया कि सरकार १ हजार करोड़ की धान खरीदी के लिए हर संभव प्रयासरत है व तीव्रता से इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रही है।
अब इस राज्य में भी MSP पर होगी धान की खरीदी, सरकार खोलेगी 23 नई मंडियां

अब इस राज्य में भी MSP पर होगी धान की खरीदी, सरकार खोलेगी 23 नई मंडियां

खरीफ का सीजन अपने पीक पर है। इस दौरान देश में सबसे ज्यादा धान उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में धान की फसल तैयार हो चुकी है। ज्यादातर राज्यों में तो धान की कटाई भी खत्म हो चुकी है और फसल मंडियों में पहुंचने लगी है। इसको देखते हुए कुछ राज्य सरकारें MSP पर धान की खरीदी प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं, जबकि कुछ सरकारें धान को MSP पर 1 अक्टूबर से खरीदना प्रारम्भ करेंगी। अन्य राज्यों को देखते हुए अब जम्मू और कश्मीर का प्रशासन भी अपने राज्य के किसानों की मदद के लिए आगे आया है। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने घोषणा की है कि राज्य में धान किसानों की मदद करने के लिए 23 नई मंडियां खोली जाएंगी, जिसमें किसानों को तमाम आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी, ताकि जम्मू और कश्मीर के किसान बिना किसी परेशानी के अन्य राज्यों के किसानों की तरह अपनी धान की फसल को आसानी से बेच पाएं। राज्य में नई मंडियों की स्थापना करने के लिए जम्मू कश्मीर एडमिनिस्ट्रेशन के साथ एग्रीकल्चर ऑफिसर अपने काम पर लग गए हैं। नई मंडियों की स्थापना और जमीन अधिग्रहण में किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए प्रशासन ने सख्त निर्देश जारी किये हैं।

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किस जिले में कितनी धान मंडियां होंगी स्थापित

जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने बताया कि जो 23 मंडिया स्थापित की जानी है वो जम्मू डिवीजन के अंतर्गत ही स्थापित की जाएंगी, क्योंकि धान की पैदावार इसी डिवीजन में होती है। प्रशासन ने बताया कि 11 मंडियां जम्मू जिले में, 11 मंडियां कठुआ जिले में और एक मंडी सांबा जिले में स्थापित की जाएगी। जम्मू और कश्मीर प्रशासन के अंतर्गत आने वाला कृषि उत्पादन व किसान कल्याण डिपार्टमेंट ने इसको लेकर कार्य योजना बनानी शुरू कर दी है। जल्द ही इसकी सूचना भी सार्वजनिक कर दी जाएगी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य भी हुआ तय

राज्य में नई धान मंडियों की घोषणा के साथ ही जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने राज्य के किसानों को तोहफा देते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी घोषणा कर दी है। प्रशासन के अनुसार, राज्य में ए ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2060 रूपये प्रति क्विंटल रखा गया है, जबकि सामान्य धान 2040 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ खरीदा जाएगा। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र सरकार ने जो दिशा निर्देश जारी किये हैं, मंडियों में उसी के अनुसार खरीदी की जाएगी।

तीनों जिलों में बारदाने की व्यवस्था करने के निर्देश

जिन जिलों में धान की खरीदी होनी है, उन जिलों में प्रशासन की तरफ से बारदाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि किसी भी फसल की खरीदी बिना बारदाने के नहीं हो सकती। इसलिए प्रशासन ने उचित मात्रा में बारदाना रखने के निदेश दिए हैं। साथ ही प्रशासन ने बताया है कि मंडियों में किसानों की समस्याओं को निपटाने के लिए हेल्पडेस्क बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं, जहां पर एक मंडी कर्मचारी हमेशा तैनात रहेगा। यदि किसानों को फसल बेचने से संबधित किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो किसान की उस समस्या को हेल्पडेस्क में उपस्थित कर्मचारी नोट करेगा और किसान को त्वरित समाधान प्रदान करने की कोशिश करेगा।

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कई राज्यों में जल्द ही शुरू होगी धान की खरीदी

पंजाब और हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 1 नवम्बर से प्रारम्भ होने जा रही है। हरियाणा सरकार ने इस साल 55 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए सरकार ने 400 से अधिक मंडियों में धान खरीदी की व्यवस्था की है। मंडियों में खरीदी को लेकर सभी प्रकार की व्यवस्थाएं पूरी कर ली गईं हैं। इनके अलावा छत्तीसगढ़ में 1 नवम्बर से धान की खरीदी प्रारम्भ होगी। इस दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने 1.1 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य रखा है। जिसके लिए सरकारी अफसर व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने में लगे हुए हैं।
केंद्र सरकार की मूंग सहित इन फसलों की खरीद को हरी झंडी, खरीद हुई शुरू

केंद्र सरकार की मूंग सहित इन फसलों की खरीद को हरी झंडी, खरीद हुई शुरू

केंद्र सरकार मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत किसानों से फसलों की ताबड़तोड़ खरीददारी कर रही है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने जानकारी दी है, कि अब तक केंद्र सरकार 24,000 टन मूंग खरीद चुकी है। इसके साथ ही सरकार आगामी दिनों में 4,00,000 टन खरीफ मूंग की खरीददारी करने जा रही है। इसके लिए सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार यह 4,00,000 टन खरीफ मूंग उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हरियाणा और महाराष्ट्र समेत 10 राज्यों के किसानों से खरीदेगी।


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अधिकारियों ने बताया है, कि मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) को पूरी तरह से केंद्र सरकार का कृषि मंत्रालय नियंत्रित करता है। कृषि मंत्रालय जब देखता है, कि बाजार में फसलों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे गिर गए हैं, तब कृषि मंत्रालय मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत किसानों से फसलें खरीदना प्रारंभ कर देता है। ताकि किसानों को अपनी फसलों को औने पौने दामों में बेचने पर मजबूर न होना पड़े। यह खरीददारी कृषि मंत्रालय के आधीन आने वाला भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) करता है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अभी तक 24,000 टन मूंग की खरीदी हो चुकी है, जिसमें से 19,000 टन अकेले कर्नाटक के किसानों से खरीदी गई है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है, जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल पाए। इसके लिए खरीदी प्रक्रिया की हर राज्य में सघनता से जांच की जा रही है। ताकि किसानों को अपनी फसलों को बेचने पर किसी भी प्रकार की परेशानी न होने पाए।


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न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों की खरीद जारी रहेगी
बकौल कृषि मंत्रालय, मूंग के अलावा 2022-23 खरीफ सत्र में उगाई गई 2,94,000 टन उड़द और 14 लाख टन मूंगफली की भी खरीददारी की जाएगी। कृषि मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति भी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) को भेज दी है। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने कृषि मंत्रालय को अपने जवाब में बताया है, कि इस साल अभी तक उड़द और मूंगफली की खरीद नहीं हो सकी है। क्योंकि अभी भी बाजार में इन दोनों फसलों के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से बहुत ज्यादा ऊपर चल रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने अभी तक जिन फसलों की खरीद की है। उन्हें कृषि मंत्रालय ने राज्य सरकारों को देना शुरू कर दिया है, ताकि इन फसलों को पीडीएस के माध्यम से खपाया जा सके। इसी तरह अगर खरीफ की फसलों के अंतर्गत आने वाले धान की फसल की बात करें, तो अभी तक भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) के माध्यम से सरकार ने 306.06 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की है। जबकि सरकार का लक्ष्य 775.72 लाख टन धान खरीदने का है।
इस सरकार ने 14 लाख किसानों को भेजे 11 हजार करोड़, धान खरीदी जारी

इस सरकार ने 14 लाख किसानों को भेजे 11 हजार करोड़, धान खरीदी जारी

बतादें, कि छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीद बहुत ही तीव्रता से की जा रही है। फिलहाल, 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद राज्य सरकार द्वारा हो चुकी है। 14 लाख धान कृषकों के खाते में साढ़े 11 हजार करोड़ रूपये की धनराशि भी भेज दी गयी है। भारत में धान खरीदी का कार्यक्रम कुछ राज्यों में रुक सा गया है, तो कुछ मेें बहुत तीव्रता से धान खरीदी दर्ज हुई है। इस वर्ष राज्य सरकारों के जरिये भी कृषकों को सहूलियत दी है, समस्त राज्य सरकारों ने 48 घंटे से 72 घंटे के मध्य में कृषकों के खाते में एमएसपी(MSP) का रुपया भेज दिया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी बहुत जोर शोर से चल रही है। यहां खरीद केंद्रों पर धान विक्रय किया जा रहा है।


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किसानों के लिए अच्छी व्यवस्था एवं उनकी सुविधाओं का भी खरीद केंद्र प्रशासन व जिला प्रशासन काफी ख्याल रख रहे हैं। छत्तीसगढ़ के समस्त जनपदों की मंडियों में धान खरीदी तेजी से चल रही है। यदि राज्य सरकार के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो राज्य में तकरीबन 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की जा चुकी है। इस धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (MSP On Paddy) के तौर पर लगभग 14 लाख कृषकों के खाते में साढ़े 11 हजार करोड़ रुपये की धनराशि भेजी जा चुकी है। इस धनराशि को बैंक लिंकिंग व्यवस्था के माध्यम से भेजा गया है।


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कितने लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य तय किया गया है

प्रदेश में एक नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ की जा चुकी है। राज्य सरकार द्वारा धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस वर्ष कृषकों द्वारा 110 लाख मीट्रक टन धान खरीदी की जानी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री (भूपेश बघेल) जी ने समस्त जनपदों के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है, कि खरीद केंद्रों पर जो भी किसान आऐं उनको कोई भी प्रकार की परेशानी या दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े। निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए धान खरीद करना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए किसानों का धान हर कीमत पर खरीदा जाए।

कितने न्यून्तम समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा धान

छत्तीसगढ़ राज्य में धान खरीदी एमएसपी के अनुरूप की जा रही है, धान खरीदी हेतु 2594 उपार्जन केन्द्र स्थापित किये जा चुके हैं। छत्तीसगढ़ में सामान्य धान 2040 रुपये प्रति क्विंटल एवं ग्रेड-ए धान 2060 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कृषकों द्वारा खरीदा जा रहा है। वहीं, दूसरे राज्य से विक्रय हेतु आये हुए धान पर काफी सजगता व सतर्कता बरती जा रही है। प्रशासन इसको एक अवैध परिवहन मानता है और तत्कालिक रूप से कार्यवाही भी कर रहा है।


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कितने हजार ऑनलाइन टोकन जारी किये जा चुके हैं

धान खरीदी हेतु 70,356 टोकन, साथ ही, टोकन तुंहर हाथ एप के माध्यम से 19,481 ऑनलाइन टोकन जारी किए जा चुके हैं। किसान ऑनलाइन पंजीकरण में भी अपना रुझान कर रहे हैं, इस वर्ष 25.92 लाख कृषकों का पंजीकरण हो गया है। इसमें से करीब 2.26 लाख नवीन कृषक सम्मिलित हुए हैं। दूसरी जगह पंजीकृत कृषकों का धान का क्षेत्रफल में वृध्दि होकर 30.44 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है।